कौशाम्बी,
नगर पालिका भरवारी में निकला घोटाले का जिन्न: बिना सड़क बनाये ही निकाल ली गयी लाखों की रकम,सभासद ने की शिकायत,
यूपी की योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को कौशाम्बी जिले केननगर पालिका परिषद भरवारी में अधिकारी पलीता लगाने में जुटे हुए है,जिसके चलते सरकार की छवि खराब हो रही है।
मामला नगर पालिका परिषद भरवारी का है जहा भ्रष्टाचार के चलते निर्माण कार्यों में 40 प्रतिशत कमीशन का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था। वहीं एक बार फिर वार्ड नंबर 7 के सभासद ने अध्यक्ष और ईओ को शिकायती पत्र देकर भ्रष्चार और घोटाले के जिन्न को बाहर निकाल दिया है,सभासद का आरोप है शिकायत किये हुए दो महीने बीत गये पर अभी तक जांच शुरू नही की गयी। जिसे लेकर अब सभासद डीएम समेत उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कर रहे है।
नगर पालिका परिषद भरवारी के वार्ड नंबर 7 राम नगर में रमचौरा सगुनी से ग्राम पंचायत सचिवालय के आगे तक डामर रोड़ का निर्माण जिसकी कुल लागत 24,92,040.00 ( चौबीस लाख बानबे हजार चालिस) रूपये से होना था। जिसका टेंडर भी बीते 12 मार्च को निकाला गया था। काम पूर्ण होने की अवधि भी तीन माह की थी। टेंडर निकलने के लगभग 7 माह बाद भी जब सड़क निर्माण नही हुआ तो वार्ड के सभासद वीरेंद्र गौतम ने 22 अक्टूबर को नगर पालिका अध्यक्ष और ईओ को शिकायती पत्र देते हुए आरोप लगाया है कि उनके वार्ड में सड़क का निर्माण किया जाना था,जिसके लिए प्रस्ताव दिया गया और नगर पालिका ने इसका टेंडर भी किया,लेकिन सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका।
वहीं सभासद ने जब इसकी जानकारी ली तो पता चला कि इस सड़क का निर्माण कागजों में हो चुका है,और सड़क निर्माण का लगभग पच्चीस लाख रुपया भुगतान भी किया जा चुका है।सभासद वीरेंद्र गौतम को इस भ्रष्टाचार की जानकारी हुई तो उन्होंने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इस सड़क को दूसरे वार्ड में बनाकर इसका भुगतान भी करा लिया गया है,और उसके वार्ड की सड़क अभी भी ज्यों का त्यों पड़ी है और ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सभासद वीरेन्द्र गौतम ने बताया कि शिकायत किये हुए दो महीने बीत गये पर अभी तक जांच शुरू नही की गयी। जिसे लेकर अब वह डीएम समेत उच्चाधिकारियों से शिकायत करेंगे।
पूरे मामले में नगर पालिका परिषद भरवारी ईओ राम सिंह का कहना है कि वार्ड नम्बर 7 के सम्मानित सभासद द्वारा टेंडर होने के बाद भी सड़क निर्माण न होनी की शिकायत का लिखित प्रार्थना पत्र उन्हें नहीं मिला है।यह आरोप असत्य और निराधार है,एक पूरी प्रक्रिया के अनुसार ही कार्य का भुगतान कियाबजता है,फिर भी यदि ऐसा मामला सामने आता है तो जांच कराई जाएगी।