कौशाम्बी,
कौशाम्बी का एक ऐसा परिवार जो खुद से बनाता है ताजिया,बकरीद के बाद ही शुरू कर देते है ताजिया को बनाना,
यूपी के कौशाम्बी में प्रतिभा की कमी नहीं है जिसके चलते आए दिन कौशाम्बी का नाम सुर्खियों में रहता है,जहा एक ओर कड़ा की बनी ताजिया नीदरलैंड में म्यूजियम में शोभा बढ़ा रही है वही कौशाम्बी जिले के भरवारी कस्बे में एक ऐसा परिवार है जो इमाम हुसैन की याद में ताजिया खरीदकर नही बल्कि खुद ही सब लोग मिलकर ताजिया बनाते है और फिर उसे करबला में दफन करते है।यह परिवार पिछले 20 सालो से खुद से ही ताजिया बनाते है।
कौशाम्बी जिले के भरवारी कस्बे में एक ऐसा परिवार है जो बकरीद का पर्व होते ही ताजिया बनाने में लग जाता है।लगभग महीने भर की रातों दिन की मेहनत के बाद यह आलीशान ताजिया जब बनकर लोगो के सामने आता है तो देखने वाले इनकी कारीगरी की तारीफ करते नजर आते है। इस ताजिया को बनाने में तीन भाई मोहम्मद यासीन, मोहम्मद आमीन, अकबर अली ताजिया बनाते है वही मोहल्ले के कुछब यूवक भी उनके इस काम में सहयोग करने के लिए देर रात तक जागकर ताजिया के सजावट कर कार्य पूरा करते है।
इन युवकों का कहना है कि आस पास के लोग इन युवकों का बहुत सहयोग करते है। यह ताजिया मोहर्रम की 9 तारीख को रात के समय भरवारी के पुरानी बाजार स्थित बड़े इमामबाड़े पर रखी जाती है ,उसके बाद 12 बजे रात को यह ताजिया रोही गांव जाती है ,रोही गांव में मातम किया जाता है ,फिर यह ताजिया करीब 3 बजे के वापस भरवारी लेकर आते है। सुबह10 मोहर्रम को करीब 2 बजे यह ताजिया के साथ साथ लालपुर, जलालपुर, दरबेसपुर, रोही, मुरादपुर, खलीलाबाद, मोहम्मद अमीन, की ताजिया के साथ साथ बड़े इमामबाड़े की ताजिया के साथ हजारों लोग ताजिया को कंधा देते हुए गौरा रोड स्थित अनिल केसरवानी कोटेदार के घर पर रखी जाती है। जहाँ रखने के बाद अनिल केसरवानी का परिवारी पूजा करते है इसके बाद यह ताजिया खलीलाबाद स्थित कर्बला में दफना दी जाती है।