मधुमेह को नियंत्रित करने के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है आयुर्वेद-डा0 दयाशंकर मिश्र

उत्तर प्रदेश,

मधुमेह को नियंत्रित करने के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है आयुर्वेद-डा0 दयाशंकर मिश्र,

न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी)

विश्व मधुमेह दिवस की पूर्व संध्या पर एल्सेविएर से प्रकाशित एक अन्तर्रष्ट्रीय वैज्ञानिक जर्नल जर्नल आफ़ आयुर्वेद ऐन्ड इन्टीग्रेटिव मेडीसिन मधुमेह की रोकथाम को लेकर आयुर्वेद में किये नवीनतम शोध को प्रमुखता से स्थान दिया है। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ के काय चिकित्सा विभाग तथा मेदान्ता अस्पताल, लखनऊ के मधुमेह विभाग के सहयोग से हुये इस शोध में पाया गया कि आयुर्वेद में दिये गये मधुमेह के पूर्व रूपों के आधार पर न केवल मधुमेह को उसके पूरी तरह प्रकट होने से पहले ही पहचाना जा सकता है बल्कि उसे रोका भी जा सकता है। प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आयुष एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एम.ओ.एस.) डा0 दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने यह जानकारी यहां दी।

आयुष मंत्री ने बताया कि भारत के परिप्रेक्ष्य में जहां एक बडी आबादी मधुमेह से ग्रसित है और जहां एक उससे भी बडी आबादी मधुमेह से ग्रसित होने की कगार पर है, यह शोध मधुमेह के प्रबन्धन एवं समुचित रोकथाम की दिशा में एक नयी आशा बांधता है। उन्होने कहा कि इस शोध में आयुर्वेद में मधुमेह के पूर्वरूप लक्षणों का उनकी मधुमेह के रोगियों में उपस्थिति के लिये परीक्षण किया गया। कुछ लक्षण जैसे कि दिन में नींद का आना, वजन का अचानक से बढना, शरीर में अधिक सुडौलता का आ जाना, बालों का अधिक उलझना और अधिक पसीना आना आदि मधुमेह के रोगियों में प्रमुखता से देखे गये। उन्होंने बताया कि ये लक्षण स्वस्थ व्यक्तियों में अथवा मधुमेह के अलावा अन्य रोगों से ग्रस्त रोगियों में न के बराबर थे।

डा0 दयालु ने बताया कि कुल 309 व्यक्तियों जिनमें 141 मधुमेह के रोगी, 84 अन्य रोगी और 84 स्वस्थ व्यक्तियों पर परीक्षण के बाद इस शोध ने मधुमेह के उत्पन्न होने से पूर्व के लक्षणों के आधार पर मधुमेह की आगामी सम्भावना का एक प्रारूप तैयार किया है जिससे कि निकट भविष्य में मधुमेह होने की सम्भावना का पता लगाया जा सकता है। उन्होने कहा कि राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ में काय चिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रो. संजीव रस्तोगी के निर्देशन में हुये इस शोध कार्य को डा0 नीलेन्द्र सिंह ने सम्पादित किया और मेदान्ता अस्पताल, लखनऊ में मधुमेह विभाग के प्रमुख डा0 मनीष गुच ने इस शोध में सहायता की।

डा0 दयालु ने बताया कि आयुष विभाग प्रदेश में आयुष शोध को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है तथा शोध के परिणामों का लाभ प्रदेश की जनता तक पहुचायें जाने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। उन्होने इस शोध कार्य के लिए प्रो0 संजीव रस्तोगी सहित पूरी टीम को शुभकामनायें दी।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor