बाल विवाह के विरूद्ध जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति ने चलाया जन जागरूकता अभियान

कौशाम्बी,

बाल विवाह के विरूद्ध जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति ने चलाया जन जागरूकता अभियान,

पूरे देश में चल रहे “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत 16 अक्टूबर को मनाए गए बाल विवाह मुक्त भारत दिवस के मौके पर गैर सरकारी संगठन जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति उत्तर प्रदेश ने कौशाम्बी जपनद मे 150 ( 100 इण्टर कालेजो तथा 50 ग्राम पचायतो) से अधिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में 300000 (तीन लाख ) से अधिक महिलाओं, बच्चों और आम लोगों ने शपथ ली कि वे न तो बाल विवाह का समर्थन करेंगे और न इसे बर्दाश्त करेंगे बड़े पैमाने पर हुए इन कार्यक्रमों में सी.डब्ल्यू.सी के अध्यक्ष कमलेश चन्द्र , कस्तूरबा गांधी विद्यालय से मुदिता, बाल संरक्षण अधिकारी अजीत कुमार, विशेष किशोर इकाई के प्रभारी अरविन्द कुमार सहित जिला बाल संरक्षण ईकाइ के समस्त स्टाफ तथा वन स्टाप सेन्टर का समस्त स्टाफ ने हिस्सा लिया और इसे सफल बनाने में योगदान दिया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (एनएचएफएस-2019 – 21 ) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था जबकि कौशाम्बी जनपद में 17.6 प्रतिशत युक्तियो का विवाह 18 वर्ष से पहले हो गया था। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है। भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं। सोलह अक्टूबर को इस अभियान के एक साल पूरे हुए। इस अर्से में पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने की शपथ ली।

गांवों में पूरे दिन इस अभियान के समर्थन में उतरे लोगों की चहल पहल रही और इस दौरान रैली, कैन्डिल मार्च, शपथ ग्रहण समारोह, धार्मिक स्थलो पर शपथ ग्रहण जैसे तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

सूरज ढलने के बाद कौशाम्बी जनपद हेडक्वाटर मंझनपुर में अपर पुलिस अधीक्षक समर ने कार्यलय में समस्त पुलिस कर्मियों को शपथ दिलाकर पुलिस अधीक्षक कार्यलय से जिला पंचायत कार्यलय तक कैन्डिल मार्च निकाला। इसके अलावा विभिन्न ग्राम पंचायतो मे हजारों लोगों ने भी हाथों में मशाल लेकर मार्च किया और लोगों को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि नए भारत में बाल विवाह की कोई जगह नहीं है। इस मार्च में स्कूली बच्चों, ग्रामीणों, धार्मिक नेताओं सहित समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया। इस मार्च का मकसद गांवों और कस्बों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करना था। इस दौरान विवाह समारोहों में अपनी सेवाएं देने वालों जैसेकि शादियों में खाना बनाने वाले हलवाइयों, टेंट-कुर्सी लगाने वालों, फूल माला बेचने व सजावट करने वालों, माँ दुर्गा देवी के पण्डालो तथा पंडित और मौलवी जैसे पुरोहित वर्ग को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया गया ।

जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति के सचिव शंकर दयाल ने कहा, “बाल विवाह वो अपराध है जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। लेकिन नागरिक समाज और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा। इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेंगी। “

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor