सहकारी समितियां बन चुकी हैं लूट का अड्डा- कांग्रेस अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश,

सहकारी समितियां बन चुकी हैं लूट का अड्डा- कांग्रेस अध्यक्ष,

न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेन्सी)

रबी की फसल विशेषकर गेंहू के लिए सबसे महत्वपूर्ण माह जनवरी बीत रहा है लेकिन किसानों को अभी तक गेहूं की फसल के लिए सबसे जरूरी उर्वरक यूरिया, सिंचाई के लिए पानी और कीटनाशक के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। आये दिन प्रदेश के किसी न किसी जनपद में किसानों को यूरिया के लिए सड़कांे पर उतरकर संघर्ष करना पड़ रहा है। अन्नदाता किसानों की बदहाली पर प्रदेश की योगी सरकार आंख मूंदे बैठी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि यूरिया की बढ़ती मांग के चलते यूरिया वितरक समितियां किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रही हैं। किसानों की जितनी मात्रा में यूरिया की जरूरत है उसके साथ ही अन्य कृषि उत्पाद खरीदने को विवश किया जा रहा है। 50 किलो यूरिया की बोरी के साथ जिंक, सल्फर, जायम, और नैनों यूरिया जैसे कृषि उत्पाद खरीदने के लिए किसानों को विवश किया जा रहा है। कई जगहों पर किसानों से निर्धारित मूल्य से ज्यादा वसूली करने का मामला भी सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि अधिकतर इफको केन्द्रोंऔर साधन सहकारी समितियों पर किसानों की दो से तीन बैग यूरिया लेने पर एक बोतल नैनों यूरिया लेने का दबाव बनाया जा रहा है। कहीं कहीं हालात तो इतने खराब है कि बिना मार्के वाला केमिकल दिया जा रहा है और तर्क यह है कि यह वितरण स्टॉक के अनुसार है। यह सरकार किसानों के हितों के साथ कुठाराघात है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने यह दावा किया था कि जनवरी में यूरिया का पूर्णतया आवंटन किसानों को कर दिया जायेगा परन्तु किसानों की तरफ से आ रही शिकायतों से इस बात की पुष्टि होती है कि सरकार के बाकी अन्य दावो की तरह यह दावा भी खोखला साबित हो रहा है।

वास्तव में 240 रूपये की 500 ग्राम नैनों यूरिया 1 बीघा में छिड़कने के दौरान 40 से 50 लीटर पानी घोलना पड़ता है और छिड़काव करने, मशीन में डालने वाले ईधन, और मजूदरी को जोड़ा जाये तो लागत लगभग 1000 रूपये पहुंच जाती है। वहीं यूरिया 270 रूपये में उपलब्ध है तो नैनों यूरिया का छिड़काव किसानों पर अतिरिक्त बोझ है। जिसे कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता।

कांग्रेस पार्टी किसानों के हितों के लिए सदैव संघर्ष करती रही है। कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि किसानों की आवश्यकता के अनुरूप यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाए। साथ ही किसानों पर जबरिया दबाव डालकर अन्य कृषि उत्पाद खरीदने के लिए विवश ना किया जाये।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor