कविताओं के जरिये सुब्रमण्यम भारती ने जलाई थी स्वाधीनता की अलख

कौशाम्बी,

कविताओं के जरिये सुब्रमण्यम भारती ने जलाई थी स्वाधीनता की अलख,

अंग्रेजों हुकूमत से स्वतंत्रता की अलख जगाने वाली कविताओं के रचनाकर सुब्रमण्यम भारती का जन्मदिन कड़ा ब्लाक के कंपोजिट विद्यालय सौंरई बुजुर्ग में सोमवार को शिक्षक और छात्रों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उनके जन्मदिवस के अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक अजय साहू ने उनके जीवन परिचय को बच्चों को विस्तारपूर्वक बताते हुए उनके आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया।

शिक्षक ने बताया की सुब्रमण्यम भारती का जन्म तमिलनाडु के एक गांव में 1882 की हुआ था। चार वर्ष की आयु में इनकी माता और 14 वर्ष की आयु में इनके पिता का निधन हो गया था। इस अल्पायु में ही इनके ऊपर सौतेली मां और बहन के पोषण की जिम्मेदारी भी आ गई थी। पिता से मिली प्रेरणा से ही इन्होंने कम आयु से ही कविताओं का लेखन शुरू किया था। माता पिता के निधन के पश्चात गरीबी से जूझने पर इन्होंने धन की महिमा कविता की रचना की थी। 11 वर्ष की आयु में ही इन्हे भारती के पदक से नवाजा गया था जो इनका उपनाम भी पड़ा। उसके बाद यह बनारस आकर हिंदी और संस्कृत की पढ़ाई करते हुए संस्कृत प्रथमा प्रथम श्रेणी में पास किया।

उसके बाद भारती ने भारती ने स्वाधीनता की अलख जगाने के लिए साहित्य की अपना हथियार बनाते हुए ऐसी कविताओं की रचना की जिससे समाज में लोग पढ़ने के बाद देश प्रेम से जाग्रत होकर देश की स्वाधीनता के लिए आगे बढ़ने का काम करते थे। उनकी जयंती को भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की स्वाधीनता के लिए अपनी कविताओं से अलख जगाने वाले इस साहितकार की 12 दिसंबर 1922 को जीवनलीला समाप्त हो गई।

उनके जन्मदिन की विद्यालय में अभी अध्यापकों और बच्चों ने नमन करते हुए याद किया। इस मौके पर राठौर शशि देवी, शिवम केसरी आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

 

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor