लखनऊ,
बालश्रमिक विद्या योजना के तहत प्रदान की जा रही आर्थिक सहायता,
न्यूज़ ऑफ इंडिया ( एजेंसी )
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कामकाजी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए की गयी अनूठी पहल की गयी है। ऐसे परिवार जहां माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी हो, माता-पिता अथवा दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हैं, महिला अथवा माता परिवार की मुखिया है, या माता-पिता अथवा दोनों किसी गंभीर असाध्य रोग से ग्रसित हैं या भूमिहीन परिवार है, को बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
इस योजना के तहत बालकों के लिए 1,000 रूपये प्रतिमाह, बालिकाओं के लिए 1,200 रूपये प्रतिमाह, कक्षा 8, 9 एवं 10 तक की शिक्षा प्राप्त करते हैं तो उन्हें प्रत्येक कक्षा उत्तीर्ण करने पर 6,000 रूपये प्रतिमाह की अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि की व्यवस्था की गयी है।
श्रम विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत कामकाजी बच्चों/किशोर/किशोरियों की श्रेणी में 08-18 आयु वर्ग के कामकाजी बच्चे/किशोर/किशोरिया शामिल होंगे, जो कि संगठित या असंगठित क्षेत्र में परिवार की विषम परिस्थितियों के कारण कार्य कर अपने परिवार की आय की वृद्धि हेतु कार्य कर रहे है।
योजना का लाभ लेने के लिए निकटतम श्रम विभाग के कार्यालय या ूूूण्इेअलण्पद पर आवेदन करना होगा। योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति पात्र कामकाजी बच्चे को ऑनलाइन पोर्टल पर संदर्भित कर सकता है। बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम-1986 यथा संशोधित-2016 के अनुसार 14 वर्ष की आयु तक के बच्चे किसी प्रकार का भी कार्य करवाना और 14-18 आयु वर्ग के बच्चों को खतरनाक व्यवसायों एवं प्रक्रियाओं में कार्य करवाना प्रतिबंधित किया गया है।
बाल श्रम करवाने पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति/नियोजक/दुकानदार, ऐसे बच्चों से कार्य करवाता है, तो उसे न्यूनतम 6 माह एवं अधिकतम 2 वर्ष का कारावास तथा न्यूनतम 20,000 रूपये एवं अधिकतम 50,000 रूपये का जुर्माना अथवा दोनों अपराध की पुनरावृत्ति पर न्यूनतम 01 वर्ष एवं अधिकतम 03 वर्ष का कारावास, माता-पिता भी जानबुझकर परिवार की आय वृद्धि हेतु बच्चों से कार्य करवाते हैं तो उन पर भी 10,000 का जुर्माना लगेगा।
यदि किसी व्यक्ति के आसपास कोई बाल श्रमिक है तो तुरंत टोल-फ्री नंबर 18001805160 अथवा स्थानीय प्रशासन को सूचना दे सकता है।