मानसिक रोगी को दवा से अधिक परिवार के प्यार व सम्मान की अधिक आवश्यकता होती है, डॉ० आरती यादव

उत्तर प्रदेश,

मानसिक रोगी को दवा से अधिक परिवार के प्यार व सम्मान की अधिक आवश्यकता होती है, डॉ० आरती यादव,

यूपी के बाराबंकी जिला अस्पताल मे तैनात मनोचिकित्सक डाँ आरती यादव से एक मुलाकात में मनोरोग एवं मानसिक रोग के कारण एवं उसके निवारण पर विस्तार पूर्वक वार्ता हुई,जिसके कुछ महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत है।

मुलाकात के दौरान उन्होने बताया कि प्रतिदिन ओपीडी में 70 से 80 रोगी आते है, जिनमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक होती है, वही देखा जाये तो हमारे आस पास बहुत से ऐसे लोग है, जो मनोरोग से पीडित है किन्तु जानकारी के अभाव में वह अपनी समस्या पहचान नही पाते। महिलाओं में मुड स्विंग होना आम है, किन्तु अगर उनकी मानसिक स्थिति में तेजी से बदलाव आ रहा तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए।

जब चिकित्साक डॉ आरती से पूछा गया कि मानसिक रोगी के प्रमुख लक्षण क्या होते है, तो उन्होने बताया कि अच्छी नीद न आना, बहुत अधिक सोना, आत्मविश्वास में कमी, स्वयं को परिवार व दोस्तो से अलग रखना, गलत सोचना, जो घटना कभी घटित नही हुई उसके बारे में सोचना, बात-बात में अधिक गुस्सा करना तथा मारपीट पर उतारू होना।

मनोचिकित्साक का कहना था कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिक का होना बहुत जरूरी होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में स्वस्थ मस्तिक होने पर व्यक्ति में स्पष्ट सोचने और जीवन में सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करने की क्षमता आवश्यक होती है, मित्रों एवं परिवार के सदस्यों के प्रति उसके मधुर संबध होने चाहिए। उन्होने कहा कि जैसे हमारा शरीर बीमार पड़ सकता है, वैसे ही हमारा दिमाग भी रोगी हो सकता है, इस स्थिति को मनोरोग कहते है।

किसी व्यक्ति द्वारा अनुभव की जाने वाली कोई भी बीमारी जो उसी भावनाओं, विचारो और व्यवहार को इस तरह प्रभावित करती है, कि वे उसकी संस्कृति मान्यताओं तथा व्यक्तित्व से मेल नही खाएं और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार पर नकारात्मक असर डाले तो वह बीमारी मनोरोग कहलाती है।

जब उनसे पूछा गया कि मनोरोग में कैसी समस्याएं आती है, तो मनोचिकित्सक ने बताया कि कुछ लोग मनोरोग को हिंसा, उत्तेजना, असहज यौनवृति जैसी गंभीर व्यवहार से संम्बधित बीमारी मानते है, किन्तु ऐसे विचलन प्रायः मानसिक अस्वस्वस्थताओं का परिणाम होते है, किन्तु मनोरोग से पीडित अधिकांश व्यक्ति दूसरे सामान्य लोगो जैसा ही व्यवहार करते है। अध्ययन इस बात को स्पष्ट करते है कि सामान्य स्वस्थ दिखने वाले युवाओं में 50 प्रतिशत से अधिक किसी न किसी मनोरोग से पीड़ित होते है, ओपीडी आने वाले युवक व युवतियां अपनी पढाई व जॉब को लेकर तनावग्रस्त रहती है। एक सवाल के जबाब में उन्होने बताया कि मानसिक स्वास्थ का सीधा जुडाव यौन संबध से भी होता है, साथ ही अत्यधिक सेक्स की लत मानसिक बीमारी होती है।

उन्होने आने वाली बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों को तनावमुक्त रहने की सलाह देते हुए कहा कि कुछ बच्चे लगातार परीक्षा के दौरान 5 से 6 पढाई करते है, जो कताई हितकारी नही है, बच्चों को चाहिए कि हर 40 मिनट की पढाई के बाद कम से आधे घन्टे का विश्राम अवश्य करे। साथ ही उनके अभिभावको से अपील की है कि बच्चों पर पढाई के लिए अधिक दबाव न बनाये। अधिकांश देखा जाता कि माता-पिता के दबाव में बच्चे कुछ गलत निर्णय ले लेते जो खौफनाक पीड़ादायक होते है।

अन्त में मनोचिकित्सक डॉ आरती यादव ने कहा कि मानसिक रोगी को उनका परिवार सहारा दे, और उनकी भावनाओ व स्वभाव को समझे और उनके साथ प्रभावी ढंग से संवाद कायम करने का प्रयास करे। उन्हे खेलकूद, मनोरंजन, घुमाने, पढने तथा योग करने के लिए प्रोत्साहित करे। क्योकि परिवार का प्यार, व्यवहार एवं सम्मान किसी भी दवा से अधिक लाभदायक होता है।

बाराबंकी से दिलीप श्रीवास्तव की रिपोर्ट..

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor