कौशाम्बी,
एक ही व्यक्ति को 42 दिनों में 12 बार सर्पदंश का शिकार नहीं बना सकता है सांप,रेप्टीकल फोबिया की शिकार है मरीज, इलाज से ठीक हो सकता है मरीज:प्राचार्य मेडिकल कॉलेज,
यूपी के कौशाम्बी जिले में एक 15 साल की लड़की रिया को बार-बार सांप काटने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है,इस घटना के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम रिया के घर पहुंची, जहां उन्होंने जांच-पड़ताल की और पाया कि उसका घर पूरा मिट्टी का बना हुआ है,उसके घर में कई सारे सांप के बिल भी हो सकते है,इसकी वजह से वह सांप के काटे जाने की शिकार हो रही है।
टीम ने उनके घर के आसपास दवाइयों का छिड़काव किया है और उसका इलाज भी किया है,लेकिन रिया को सांप।के काटने का डर बना हुआ रहता है,जिससे वह परेशान है।वर्तमान में वह जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है जहा डॉक्टरों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है।
वहीं इस घटना को लेकर सीएमओ डॉ0 संजय कुमार ने बताया कि यह कहना जल्दबाजी होगा की सांप जहरीला है या नही,उन्होंने बताया कि जब उनके घर पहुंचे तो देखा कि घर मिट्टी का है और कई जगहों पर बिल हैं, सांप के बिल हैं, एक ही सांप ने काटा है या कई सांपों ने काटा है, इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है,हमारी टीम रिया मौर्य का इलाज कर रही है,वह बिल्कुल ठीक है।
वहीं इस मामले में मेडिकल कॉलेज कौशाम्बी के प्राचार्य डॉ हरिओम कुमार सिंह का मानना है कि मेडिकल साइंस में ऐसा ही नहीं ,उनका मानना है कि एक ही व्यक्ति को सांप 42 दिनों में 12 बार सर्पदंश का शिकार नहीं बना सकता है, यह एक प्रकार की बीमारी होती हैं जिसे रेप्टीकल फोबिया कहते है,यह मरीज रेप्टीकल फोबिया से पीड़ित हो सकती है,और इलाज से वह पूरी तरह से ठीक हो सकतीं है,इसका इलाज पूरी तरह से संभव है और अपने जनपद के संयुक्त चिकित्सालय में ही उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि रेप्टीकल फोबिया, या हर्पेटोफोबिया (Herpetophobia), छिपकलियों, सांपों और अन्य सरीसृपों के प्रति अत्यधिक और अतार्किक डर है। यह डर किसी व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को सीमित कर सकता है, और यह किसी सरीसृप की तस्वीर या विचार से भी तीव्र चिंता पैदा कर सकता है। इस फ़ोबिया के इलाज के लिए मनोवैज्ञानिक थेरेपी, विशेष रूप से कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT), और कुछ मामलों में दवाइयाँ भी शामिल हो सकती हैं।
यह सरीसृपों के प्रति एक तीव्र, तर्कहीन और लगातार बना रहने वाला डर है। ऐसे मरीज को निम्न लक्षण हो सकते है…
इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति को तीव्र भय, चिंता, घबराहट, पसीना आना, और दिल की धड़कन तेज होना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
सरीसृपों को देखने, छूने, या यहां तक कि उनकी तस्वीरें या कार्टून देखने से भी डर उत्पन्न हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक थेरेपी: कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसी थेरेपी व्यक्ति की सोच और व्यवहार में बदलाव लाकर मदद कर सकती है।वही कुछ मामलों में चिकित्सक दवाएं भी दे सकते हैं।
यह फोबिया कैसे काम करता है:
यह एक प्रकार का विशिष्ट फोबिया है, जिसका अर्थ है कि यह किसी एक वस्तु या स्थिति के प्रति भयभीत प्रतिक्रिया है। जब कोई व्यक्ति उस सरीसृप के संपर्क में आता है जिससे उसे डर है, तो उसे पैनिक अटैक भी आ सकता है।
ऐसे मामले में मरीज के परिजनों को चाहिए कि वह उसकी अच्छे से देखभाल करे,उसे अकेला न छोड़े और उसको अच्छी नींद आए,इसके लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराकर डॉक्टरो से इलाज कराये,वह कुछ ही दिनों में पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी।