बंगाल की तर्ज पर बाराबंकी में आयोजित होता है,भव्य नवदुर्गा पूजा एवं महोत्सव,यूथ एसोसिएशन परिवार की 56वे नवदुर्गा पूजा महोत्सव के 27 को खुलेंगे कपाट

कौशाम्बी,

बंगाल की तर्ज पर बाराबंकी में आयोजित होता है,भव्य नवदुर्गा पूजा एवं महोत्सव,यूथ एसोसिएशन परिवार की 56वे नवदुर्गा पूजा महोत्सव के 27 को खुलेंगे कपाट,

बाराबंकी से दिलीप कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट..

शरद ऋतु का आगमन होते ही पूरे देश में शारदीय नवरात्र पूजा की हलचल तेज हो जाती है, लोग मां के स्वरूपों की पूजा आराधना की तैयारी में लग जाते हैं, हिंदुस्तान के हर कोने में बड़े-बड़े पंडालो मे नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा- अर्चना बड़े धूमधाम से शुरू हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार मां इस बार हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों के दुःख हरने उन्हे आशीर्वाद देने आई हुई है।

मां भगवती के भव्य स्वागत के लिए बाराबंकी जनपद भी पूरी तरह मां की भक्ति में लीन है। वैसे तो जनपद के विभिन्न तहसीलों व कस्बों मे मां की पूजा अर्चना शुरू हो चुकी है किंतु नगर के नगर पालिका परिषद परिसर में निरंतर 55 वर्षों से यूथ एसोसिएशन द्वारा कराई जा रही शारदीय नवरात्र पूजा महोत्सव अपने आप में अनोखी व भव्य होती है। इस पूजा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है ,क्योंकि यूथ परिवार द्वारा आयोजित शारदीय नवदुर्गा पूजा पूरी तरह बंगाल के तर्ज पर होती है, पूजा महोत्सव में मां के 108 स्वरूप में प्रत्येक वर्ष 9 स्वरूपों की प्रतिमाएं पूजा पंडाल में स्थापित की जाती हैं।

इस वर्ष यूथ एसोसिएशन परिवार द्वारा 56 वीॅ शारदीय नवदुर्गा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।

नगर पालिका परिषद में आयोजित होने वाली शारदीय नवदुर्गा पूजा महोत्सव में मूर्तिकार बादल, पूजन वादक, तथा पुरोहित मनोतोष सरकार गांगुली सभी लोग कोलकाता से खासकर यूथ एसोसिएशन परिवार की पूजा संपन्न करने आते हैं, मूर्तिकार बादल पाल अपने साथियों के साथ करीब तीन माह पूर्व बाराबंकी आ जाते हैं, वहीं प्रतिमाओं की सजा का कार्य श्रीमती रेखा मिहिर द्वारा किया जाता है।

जानकारी के अनुसार 1967- 68 में कुछ बंगाली परिवारों द्वारा रेलवे स्टेशन के पीछे आरपीएफ कॉलोनी में स्थित एक पार्क में मां दुर्गा की पूजा की डॉक्टर एस के बनर्जी, डॉ बर्मन, विश्वनाथ गुप्ता, सतीश चंद्र मुखर्जी, निहार रंजन आचार्य, पाल बाबू आज बंगालियों ने शुरु की थी।

धीरे-धीरे लोग मां की पूजा से जुड़ने रहे और अधिक भव्य होती गई। 1987 में पत्रकार स्व टी के राय ,निहार रंजन आचार्य, डां पी के बनर्जी, रामधन मुखर्जी, मीनू बनर्जी सेन दास एवं बंगाली परिवारों के साथ ही हिंदू मुस्लिम परिवारों ने भी पूजा से जुड़ना शुरू कर दिया और या पूजा नगर पालिका परिषद हाल में शुरू हुई । जो निरंतर जारी है

2014 में तक राय की मृत्यु के बाद पूजा महोत्सव की कमान बृजलाल सावलानी, राजन शर्मा, राजेश गुप्ता किल्टू, रामधन मुखर्जी, दिलीप कुमार श्रीवास्तव,सौमित्र भट्टाचार्य, अर्पित गुप्ता,नरेश राय,राजेश सिह,शरद राज सिंह, सतीश चंद्र गुप्ता, गुड्डू जैन, राबिन्न खजांची, अजय शुक्ला, रामानंद गुप्ता आदि लोगों ने संभाली। सभापति बृजलाल सावलानी, महासचिव राजन शुक्ला तथा कोषाध्यक्ष राजेश गुप्ता किल्टू, के अथक प्रयासों एवं यूथ परिवार की एकजुट के चलते यह पूजा महोत्सव दिन पर दिन और भी अधिक भव्य होती जा रही है। यह पूजा नगर पालिका परिसर में 28 सितंबर से शुरू होगी जो पूर्णतया

बंगाल की तर्ज पर होगी महाषष्ठी को देवी के स्वागत और मूर्ति स्थापना के साथ मां के भक्तों के लिए कपाट खुल जाएंगे।

महाअष्टमी को संधिपूजा– होती है, जिसमें 108 दीये जलाकर माँ की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। महानवमी पूजा एवं हवन होगा।

मां की विशेष रसोई- पूजा पंडाल में ही मां की विशेष रसोई का प्रबंध किया जाता है ,जिसमें परिवार की महिला सदस्यों द्वारा मां के लिए प्रतिदिन सुबह की चाय, नाश्ता, दोपहर का भोग तथा रात्रि का भोग बनता है। रसोई की खास बात यह होती है की मां के बर्तन समस्त खादय सामग्री अलग होती है। रसोई की व्यवस्था सरिका गुप्ता,सीमा शर्मा,माया जायसवाल, ममता गुप्ता, दाषिॅका गुप्ता,रेखा बीपी दास ,अनीता, विनीता आदि सदस्याएं संभालती है।

क्योंकि आयोजको के अनुसार मां नौ दिनों के लिए अपने मायके बुलावे पर आती है जिसे हर वह सुख- सुविधा देना हम सबका कर्तव्य है।

सिंदूर खेला– विजयदशमी के दिन मां के पंडाल में महिलाएँ एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं, और फिर माँ की प्रतिमाओं के सामने ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य करती हुई मां की विदाई करती है ।

यूथ एसोसिएशन के परिवार की पूजा में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है जिसमें प्रतिदिन हिंदू -मुस्लिम सभी मिलकर मां की आरती एवं नौ स्वरूपों की पूजा- अर्चना करते हैं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor