वैज्ञानियों की टीम पहुची कौशाम्बी, अमरूद सहित अन्य उत्पादों के बारे में बागवानो से की चर्चा

कौशाम्बी

इलाहाबादी अमरूद के पैदावार को बढ़ाने के लिए सोमवार को वैज्ञानिकों की टीम कौशाम्बी आई। यहां पर वैज्ञानिकों की टीम अमरूद की बागवानी करने वाले प्रमुख बागवानों से मिली और अमरूद की पैदावार कम होने पर चिंता जाहिर करते हुए उनकी प्रमुख समस्याएं जानीं। इस दौरान वैज्ञानिकों ने पैदावार बढ़ाने के लिए बागवानों को आवश्यक सुझाव भी दिए।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा लखनऊ के निदेशक शैलेंद्र राजन की टीम में मौजूद रहे पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके शुक्ला और तमिलनाडु से आए कीट रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंडप्पा ने चायल के जनका गांव पहुंच कर बागवानों की समस्याएं जानीं। कीट रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंडप्पा ने बताया कि अमरूद के पेड़ों में इन्ड्रॉएल नाम के कीड़े जड़, तना को कमजोर करने के साथ ही पैदावार को कम कर देते हैं। उन्होंने इस कीड़े से बचने के लिए किसानों को आवश्यक सुझाव दिए हैं।
वैज्ञानिकों से मुलाकात करते हुए जनका गांव के किसान रामचंद्र ने बताया कि पिछले दिनों हुए टिड्डी अटैक से भी फलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इस कारण इस वर्ष बागों में अपेक्षानुसार अमरूद के फल नहीं लगे। किसानों ने बताया कि टिड्डी अटैक भी तब हुआ था जब पौधों में परागकणों के लगने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। परागकण को टिड्डियां चट कर गईं। इस कारण पौधों में फल नहीं लगे।
दोआबा में चायल और मूरतगंज बागवानी की दृष्टि से फल पट्टी के नाम से जाना जाता है। विभाग के लोगों की मानें तो फल पट्टी क्षेत्र के अंतर्गत अमरूद, आम, आंवला, केला और अन्य प्रकार के फल पाए जाते हैं। लेकिन वर्तमान समय में इन दोनों क्षेत्रों में इन फलों के उत्पादन में भारी गिरावट आई है।
किसानों और बागवानों को उनकी प्रमुख समस्याओं के निस्तारण के लिए वैज्ञानिकों ने बागवानी मित्र एप लांच किया है। इस बात की जानकारी देते हुए निदेशक शैलेंद्र राजन ने बताया कि अपने फल और फसलों के बारे में प्रमुख समस्याओं के लिए किसान एप की मदद से अपनी समस्याओं की तुरंत हल प्राप्त कर सकते हैं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor