जेल में बंदियों द्वारा फ़टे कम्बलों से काऊ कोट बनाने की पीएम ने की सराहना

कौशाम्बी

कहावत है कि प्राश्यचित करने से पाप धुलते हैं। इसे साकार करने के उद्देश्य से जिला कारागार में बंदियों ने नई पहल की है। अपने फटे-पुराने कंबलों को एकत्रित करने के बाद उनकी सिलाई कर रहे हैं और तिरपाल लगाकर बेजुबान मवेशियों को ठंड से बचाने के लिए कवर (काऊ कोट ) तैयार कर रहे हैं।

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जिन्हें गौशालाओं में रह रहे गायों को पहनाया जा रहा है।इसके अलावा जल्द ही सैकड़ों कवर जनपद की गोशालाओं में भेजवाए जाएंगे। जेल अधीक्षक बी एस मुकुंद जिला अधिकारी के साथ गौशाला में जाकर गायों को यह काऊ कोट पहना रहे है।

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जिला कारागार में काफी समय से बंदियों में सुधार की भावना उत्पन्न करने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। कभी पढ़े-लिखे बंदियों के जरिए अनपढ़ों को शिक्षित करने और कभी रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, सुबह-शाम धार्मिक कार्यक्रम भी जेल में अक्सर आयोजित होते रहते हैं। अब इन दिनों बंदियों व कैदियों ने अपने पाप धुलने के लिए बेजुबान मवेशियों की मदद के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। खुद के प्रयोग में लाए जाने वाले फटे-पुराने कंबलों को बीते कुछ दिनों से इकट्ठा कर बंदी उनकी सिलाई कर रहे हैं। इसके बाद तिरपाल का खोल बनाकर उसमें डाल रहे हैं। अब तक 200 से अधिक कवर तैयार किये जा चुके है। बंदियों व कैदियों का कहना है कि दो से ढाई सौ कंबल और हैं, जिनकी सिलाई शीघ्र ही हो जाएगी।जिला जेल अधीक्षक बी एस मुकुंद के द्वारा इस सराहनीय कार्य की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में भी की है।

 

बाइट..बी एस मुकुंद जेल अधीक्षक

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बाइट..अमित कुमार सिंह डीएम

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor