सीडीओ ने जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारंभ ,कृषक भाईयो से की फसल अवशेष न जलाने की अपील

कौशाम्बी,

सीडीओ ने जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारंभ ,कृषक भाईयो से की फसल अवशेष न जलाने की अपील,

यूपी के कौशाम्बी सीडीओ विनोद राम त्रिपाठी ने सम्राट उदयन सभागार में आयोजित जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

सीडीओ ने कृषकों से कहा कि फसल अवशेष न जलाएं। फसलों के अवशेष को जलाए जाने से उनके जड़, तना, पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेष को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोतरी होती है,जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पादप अवशेष में लाभदायक मित्र किट जलकर मर जाते हैं,जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नजदीक के किसानों की फसलों एवं आबादी में अग्निकांड की संभावना बन जाती है।

उप कृषि निदेशक सतेन्द्र कुमार तिवारी ने कृषकों से कहा कि फसल अवशेष जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम की जानी है, जो मानव जीवन के लिए एवं पालतू पशुओं के लिए अत्यन्त आवश्यक है। धान की कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम (एस.एम.एस.) अथवा स्ट्रा रीपर या स्ट्रा रेक एवं बेलर का उपयोग अवश्य रूप से करें, जिसके उपयोग से फसल अवशेष को अन्य कार्यों यथा-पशु चारा,कम्पोस्ट खाद बनाने,बायो कोल,पैलेट्स यूनिट,बायो फ्यूल एवं सी.बी.जी. आदि में उपयोग किया जा सकता है। खेतों में फसल अवशेष को शीघ्रता से सड़ाने के लिए पानी भरकर यूरिया का छिड़काव भी किया जा सकता है। गत वर्षों की भाँति ही कृषकों के खेत से पराली संग्रह कर निराश्रित गोवंश की गौशालाओं में ले जाने की व्यवस्था है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है। राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण को हो रहे क्षतिपूर्ति की वसूली के निर्देश दिये गये हैं। इसमें 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रुपए-2500, 02 से 05 एकड़ क्षेत्र के लिए रुपए-5000 तथा 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रुपए-15000 तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की वसूली के निर्देश हैं। कृषकों से आवाहन किया गया कि फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र का उपयोग अवश्य किया जाय,जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। कोई भी कृषक अपने खेत की पराली न जलायें, पराली गौशाला में देकर गोबर की खाद मुफ्त में प्राप्त करें।

कार्यक्रम में जिला खाद्य विपणन अधिकारी ने किसानों से कहा कि धान क्रय केन्द्रों पर 01 नवंबर से धान की खरीद शुरू होगा। आप सब अपना पंजीकरण अवश्य करा लें। जनपद में धान खरीद के लिए 40 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। दिनांक 01 अक्टूबर से बाजरा की खरीद भी शुरू हो जाएगी। भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाएगा।

कार्यक्रम में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने विभागीय योजनाओं एवं एल.डी.एम. ने के.सी.सी. से संबंधित विस्तार से जानकारी दी।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor