शोषण के विरुद्ध अधिकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त सेवाएं, महिलाओं और बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन

कौशाम्बी,

शोषण के विरुद्ध अधिकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त सेवाएं, महिलाओं और बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन,

यूपी के कौशाम्बी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी के तत्वावधान में चन्दन मेमोरियल विकलांग आवासीय विद्यालय तेरह मील चौराहा, चायल में शोषण के विरुद्ध अधिकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त सेवाएं, महिलाओं और बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

इस शिविर में बच्चों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अपर जिला जज एवं सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पूर्णिमा प्रांजल ने कहा कि भारतीय संविधान सहित कई अन्य विधियों व कानूनों में बाल अधिकारों और शोषण के विरुद्ध प्रावधान हैं। बाल अधिकारों के हनन व बच्चों के शोषण से उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से गहरी चोट पहुंचती है जिससे न केवल उनका स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास प्रभावित होता है अपितु सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। कई बार इसका असर इतना गहरा होता है और बाद में परिलक्षित होता है, जो वयस्क जीवन में भी रिश्तों और व्यवहार पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालता है।उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देश पर लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन का गठन प्रत्येक जिले में किया गया है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने पॉक्सो अधिनियम 2012, पॉश एक्ट के अंतर्गत आंतरिक परिवाद समिति, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, सखी वन स्टॉप सेंटर, भारतीय न्याय संहिता, पीसीपीएनडीटी एक्ट आदि में वर्णित बाल अधिकारों के संरक्षण से जुड़े प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षकों का कर्तव्य है कि बच्चों का ध्यान रखें, उनकी बातों को अनसुना न करें और उनके अधिकारों का हनन होने से रोकें। ऐसा न करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यदि किसी बालक के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो हेल्पलाइन नंबर्स 1090, 1098, 181 आदि पर संपर्क कर सकते हैं या फिर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय व तहसीलों में बने लीगल एड क्लीनिक में जाकर नियुक्त पीएलवी से शिकायत करें या विधिक सेवा प्राधिकरण के टोल फ्री नंबर 15100 पर शिकायत दर्ज कराएं।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता, उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, आपदाग्रस्त लोगों की मदद आदि से संबंधित प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में भी विस्तार से बताया।

तहसीलदार चायल पुष्पेन्द्र गौतम ने कहा कि बच्चों को मन बहुत कोमल होता है इसलिए उनके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्हें शारिरिक दण्ड देने से बचें क्योंकि शारीरिक दण्ड भावनात्मक घाव छोड़ सकती है।अगर बच्चों के साथ कोई दुर्व्यवहार होता है तो यथाशीघ्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बच्चे के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, स्थानीय बाल कल्याण एजेंसी, पुलिस विभाग या टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर्स से संपर्क करना चाहिए।

शिविर में अपनी बात रखते हुए डॉ. नरेन्द्र दिवाकर ने शोषण के ख़िलाफ़ बालकों के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अधिवेशन, किशोर न्याय अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम और राष्ट्रीय बाल नीति आदि के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे को बालक माना गया है। बच्चों को मारना, चिढ़ाना, मजाक करना, मजदूरी करवाना, उनके साथ छल करना, उनकी बात अनसुनी करना, अश्लील चित्र या किताब दिखाना, भद्दे इशारे करना, गाली-गलौच करना, डराना-धमकाना, तंग करना व बलात्कार आदि जैसे कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं।

उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के हनन को रोकने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के ख़िलाफ़ अधिकारों का प्रावधान है। अनुच्छेद 45 में बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। बाल मज़दूरी (निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खदान में काम नहीं लगाया जा सकता। लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत, बालक के लिए मित्रतापूर्ण वातावरण बनाए रखने का प्रावधान है।

शिविर को जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से वीणा रानी, पूनम, मिशन शक्ति टीम थाना संदीपन घाट और संरक्षण अधिकारी अजीत कुमार ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य अमित सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रबंधक राजकुमार यादव ने किया।

इस अवसर पर संरक्षण अधिकारी अजीत कुमार, महिला हेल्पलाइन 181 से वीणा रानी, जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से पूनम, मिशन शक्ति प्रभारी चन्द्रभान सिंह, सपना, स्नेहलता तथा विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं सहित सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।

 

 

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor