कौशाम्बी,
मुस्लिम नौजवान कमेटी के तत्वावधान में करारी में दो दिवसीय गुंबदे ख़ज्रा कान्फ्रेंस संपन्न,
यूपी के कौशाम्बी जिले के करारी कस्बे में मुस्लिम नौजवान कमेटी के तत्वावधान में दो दिवसीय गुंबदे ख़ज्रा कान्फ्रेंस संपन्न हो गई।कांफ्रेंस के दूसरे दिन का जलसा शै़ख अबू सईद किब्ला सज्जादानशीन खानकाहे आरिफिया सय्यद सराँवा के संरक्षण में तथा मौलाना मो.इमरान हबीबी की अध्यक्षता में सकुशल सम्पन्न हुआ, जलसे का संचालन जनाब शाहिद फरुर्खाबादी ने किया।
जलसे की शुरुआत पवित्र कुरआन की आयत से कारी मो.जाकिर साहब ने की जलसे कौ मौलाना आमिर मसूदी साहब ने संबोधित किया उन्होंने अच्छे समाज व अच्छे चरित्र पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि घर के बाहर हो तो या घर में हो हर हाल में अच्छे चरित्र का परिचय देना चाहिए बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो बाहर दूसरे से अच्छा व्यवहार करते हैं परंतु जब वह अपने बच्चों के साथ होते हैं अच्छे चरित्र का परिचय नहीं देते हैं, उनका ऐसा करना अनुचित है, उन्हें अपने पत्नी व बच्चों के साथ मोहब्बत से पेश आना चाहिए और उन्हें उचित काम करना चाहिए जिससे उनकी बीवी व बच्चों के प्रति मोहब्बत पैदा हो।
उन्होंने माता पिता के साथ अच्छे व्यवहार पर भी प्रकाश डाला और कहा कि माता पिता की इच्छा व खुशी हासिल करना प्रत्येक लड़के का कर्तव्य होना चाहिए। माता पिता को खुश रखें बगैर सफलता नहीं मिल सकती।उन्होंने कहा जिस तरह माता पिता अपने बच्चों को मोहब्बत करते हैं ठीक उसी तरह बच्चे भी अपने माता पिता को मोहब्बत करें, तो एक सभ्य समाज का उदय होगा।
जलसे मे नातिया कलाम का दौर चला निम्नलिखित अश़्आर बहुत पसंद किए गये।
(1) गमे फुरकत ने ऐसी आग भड़काई है सीने मे,
ख़ुदा पर देते तो उड़ जाऊँ मदीने मे।।( गुलाम सरवर)
(2) नूर की अंजुमन फातमा , मरकजे़ पंजतन फातमा।
खुल्द से बनकर आई है व मुर्तुज़ा की दुल्हन फातमा।।( सैय्यद अख़ज़र अली)
(3) नफस नफस है उजाला हुसैन जिन्दा,कभी न अंधेरा हुसैन जिन्दा,
यजीदियों की कयादत कबूल मत करना,
मेरे नबी का नवासा हुसैन जिन्दा।(शकील आरफी)
(4) जिन्दगी मुस्कुराने लगी है, जब मेरे मुस्तफा आ गए,,
तीर भी मुँह छुपाने लगे हैं, जब हबीबे खुदा आ गये।।( शम्शोकमर कलकत्तवी)
(5) हश़्र मे सब वकील एक तरफ,
मुस्तफा की दलील एक तरफ। (अफजल इलाहाबादी)
(6) दिल की अँगूठी पर नगीना क्या कहना,
प्यारा प्यारा शहरे मदीना क्या कहना,,
जिसके जरिये से नस्लें महकने लगती हैं,
वो मेरे आका का पसीना क्या कहना।।( सैय्यद सज़र अली)
इस अवसर पर जनाब शकील आरफी फर्रूखाबादी को श़ेख अबू सईद के हाथों श़ायरे अहले बैत का अवार्ड दिया गया। जलसा सुबह फज्र तक चला अंत में सलातो सलाम पेश किया गया तथा देश व विदेश में शाँति के लिए दुआ की गई इस अवसर पर हाजी मो.इमरान जलसे मे आए लोगों के प्रति आभार प्रकट किया।