कौशाम्बी जिला जेल में बंद बंदियों ने महाशिवरात्रि पर की पूजा,बम बम भोले के जयकारे से गूंजा जिला जेल परिसर,बांटा गया प्रसाद

कौशाम्बी,

कौशाम्बी जिला जेल में बंद बंदियों ने महाशिवरात्रि पर की पूजा,बम बम भोले के जयकारे से गूंजा जिला जेल परिसर,बांटा गया प्रसाद,

यूपी के कौशाम्बी जिला जेल में  महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बंदियों ने गंगा की मिट्टी और बालू से निर्मित शिवलिंग की विधिवत पूजा-अर्चना कर भगवान शिव की आराधना की। इस दौरान पूरा जेल परिसर शिव भक्ति में सराबोर रहा।जिला जेल में बंद लगभग 200 से अधिक बंदियों ने शिवतमृत्री का व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना की, जबकि अन्य बंदियों ने भी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा-पाठ में सहभाग किया। बंदियों ने सामूहिक रूप से भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाया और भक्ति भाव के साथ शिव तांडव स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र और अन्य धार्मिक श्लोकों का उच्चारण किया।पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया गया वही व्रत रखने वाले भक्तों के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था रही।

जिला जेल कौशाम्बी में जेल अधीक्षक अजितेश मिश्रा द्वारा महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा आयोजित की गई,गंगा की मिट्टी से निर्मित पार्थिव शिवलिंग की पूजा अर्चना की गई।पूजा संपन्न होने के बाद जेल प्रशासन की ओर से सभी बंदियों के लिए प्रसाद का वितरण किया गया। व्रत रखने वाले बंदियों को विशेष रूप से फलाहारी प्रसाद दिया गया, जबकि अन्य बंदियों के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाए गए। इस धार्मिक आयोजन से जेल में एक अलग ही आध्यात्मिक माहौल बना रहा, जिसमें सभी बंदियों ने मिलकर भगवान शिव की आराधना की।

इस अवसर पर बंदियों ने संकल्प लिया कि जेल से रिहा होने के बाद वे किसी भी तरह के अपराध से दूर रहेंगे और समाज में सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा देंगे। बंदियों ने कहा कि जिस प्रकार भगवान शिव ने विषपान कर दुनिया के कल्याण का कार्य किया, उसी प्रकार वे भी जीवन में आने वाली कटु बातों को सहन करेंगे, लेकिन किसी भी प्रकार का गलत कार्य नहीं करेंगे।

जेल अधीक्षक अजितेश मिश्रा ने बताया कि यह विशेष पूजा प्रयागराज डीआईजी आर.के. श्रीवास्तव के दिशा-निर्देशन में कराई गई है। उन्होंने कहा कि जेल में इस प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से बंदियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे उनमें आत्मअनुशासन और नैतिकता विकसित होती है, जो उनके सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।महाशिवरात्रि के इस पावन आयोजन ने न सिर्फ बंदियों को आध्यात्मिक अनुभव कराया, बल्कि उन्हें जीवन में सुधार और नए मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी दी।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor