कौशाम्बी,
बचपन की चहक और शिक्षा की संजीवनी : पीएम श्री विद्यालय जलालपुर बोरियो का प्रेरक दृश्य
गर्मियों की ऊष्मा को परे हटाकर जब सुबह की पहली किरण विद्यालय प्रांगण में उतरती है, तो वहां केवल घंटी नहीं बजती — वहां बजती है उन नन्हें बालकों की हँसी, उत्साह और सीखने की मधुर चहक। सुबह सुबह कुछ ऐसा ही दृश्य लेकर आया जब नरेश कुमार अकादमिक रिसोर्स पर्सन हिंदी द्वारा पीएम श्री विद्यालय जलालपुर बोरियो में शैक्षिक सहयोगात्मक पर्यवेक्षण का अवसर प्राप्त हुआ।
विद्यालय परिसर में प्रवेश करते ही जो बात सबसे पहले मन को छू गई, वह थी बच्चों की समयबद्ध, अनुशासित और ऊर्जावान प्रार्थना सभा। वह दृश्य किसी पारंपरिक औपचारिकता का नहीं था, बल्कि यह उस जीवंत विद्यालय का प्रमाण था जहां शिक्षा केवल पाठ्यक्रम नहीं, एक उत्सव है।
प्रार्थना के उपरांत ऑपरेशन चहक के अंतर्गत कक्षा एक के नन्हें बच्चों के साथ बैठने और सहभागिता करने का मौका मिला। उनकी मासूम अभिव्यक्ति, आंखों की चमक और जिज्ञासा से भरे प्रश्न यह स्पष्ट कर रहे थे कि यदि शिक्षा को डर के घेरे से बाहर लाकर स्नेह, खेल और संवाद का माध्यम बना दिया जाए, तो बच्चे स्वयं सीखने लगते हैं। वे उस पौधे की तरह होते हैं जिसे केवल सुरक्षा, धूप और जल की आवश्यकता होती है — बाकी प्रकृति अपना कार्य करती है।
इस वातावरण को और अधिक प्रभावशाली बना रही थीं मुनव्वर सुल्ताना, जो विद्यालय की सहायक अध्यापिका एवं ऑपरेशन चहक की नोडल शिक्षिका हैं। बच्चों के साथ उनका आत्मीय रिश्ता देखकर यह विश्वास हो चला कि एक शिक्षक अगर सिर्फ ‘पढ़ाता’ नहीं, बल्कि ‘संपर्क बनाता’ है, तो वह बालमन को छू जाता है। मुनव्वर सुल्ताना द्वारा अपनाई जा रही खेल आधारित शिक्षण विधियाँ, संवेदनशील संवाद, और अविरल ऊर्जा विद्यालय को एक आदर्श वातावरण की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
इस दौरान विद्यालय में एफ.एल.एन. (Foundational Literacy and Numeracy) के अंतर्गत किए जा रहे कार्य भी उल्लेखनीय पाए गए। कक्षा शिक्षण में भाषा और गणितीय दक्षताओं के विकास हेतु चल रही नवाचारी गतिविधियाँ, निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों की ओर विद्यालय की गंभीर प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। निपुण असेसमेंट का व्यवस्थित संचालन और बच्चों की सहभागिता यह दर्शा रही थी कि यह स्कूल केवल शासन की योजनाओं का अनुपालन नहीं कर रहा, बल्कि उन्हें सार्थकता के साथ आत्मसात भी कर रहा है।
पर्यवेक्षण के अंत में शिक्षकों से संवाद करते हुए नरेश कुमार एआरपी द्वारा जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा फार्म को लेकर विशेष आग्रह किया। एआरपी का स्पष्ट मानना है कि हमारे गांवों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, उन्हें केवल अवसर की खिड़की चाहिए। यदि प्रत्येक शिक्षक एक भी योग्य छात्र को इस दिशा में प्रेरित करता है, तो हम न केवल एक बच्चे का भविष्य बदलते हैं, बल्कि एक समाज को नई दिशा दे सकते हैं।
पीएम श्री विद्यालय जलालपुर बोरियो की यह छोटी सी यात्रा एक बड़े विश्वास की पुष्टि है — कि जब शिक्षक समर्पण से पढ़ाएं, जब विद्यालय सहयोग से चले, और जब बच्चे भयमुक्त होकर सीखें, तब ही निपुणता केवल लक्ष्य नहीं, सच्चाई बन जाती है।
शिक्षा का यह जीवंत दृश्य, यह सजीवता, यह आत्मीयता — सिर्फ एक पर्यवेक्षण नहीं था, बल्कि यह उस परिवर्तन का प्रतिबिंब था जो कौशांबी को निपुणता के पथ पर दृढ़ता से आगे बढ़ा रहा है।