कौशाम्बी,
शोषण के विरुद्ध अधिकार, पॉश एक्ट व बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन,
यूपी के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्त्वावधान में एस एस पब्लिक स्कूल बलीपुर टाटा, चायल में शोषण के विरुद्ध अधिकार, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 (पॉश एक्ट) एवं बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर में अपनी बात रखते हुए डॉ. नरेन्द्र दिवाकर ने शोषण के ख़िलाफ़ बालकों के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अधिवेशन, किशोर न्याय अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम और राष्ट्रीय बाल नीति आदि के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे को बालक माना गया है।
बच्चों को मारना, चिढ़ाना, मजाक करना, मजदूरी करवाना, उनके साथ छल करना, उनकी बात अनसुनी करना, अश्लील चित्र या किताब दिखाना, भद्दे इशारे करना, अभद्रता करना, डराना-धमकाना, तंग करना व बलात्कार आदि जैसे कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं। बाल अधिकारों के हनन को रोकने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के ख़िलाफ़ अधिकारों का प्रावधान है। अनुच्छेद 45 में बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। बाल मज़दूरी (निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खदान में काम नहीं लगाया जा सकता।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत, बालक के लिए मित्रतापूर्ण वातावरण बनाए रखने का प्रावधान है।
इस शिविर में बच्चों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अपर जिला जज सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पूर्णिमा प्रांजल ने कहा कि भारतीय संविधान सहित कई अन्य विधियों व कानूनों में बाल अधिकारों के शोषण के विरुद्ध प्रावधान हैं। बाल अधिकारों के शोषण से जहां उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन होता है वहीं उनके शारिरिक व मानसिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देश पर लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन का गठन प्रत्येक जिले में किया गया है।
इसके अतिरिक्त मुख्य अतिथि ने पॉक्सो अधिनियम 2012, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, सखी वन स्टॉप सेंटर, भारतीय न्याय संहिता, पीसीपीएनडीटी एक्ट आदि में वर्णित बाल अधिकारों के संरक्षण से जुड़े प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षकों का कर्तव्य है कि बच्चों का ध्यान रखें, उनकी बातों को अनसुना न करें और उनके अधिकारों का हनन होने से रोकें। ऐसा न करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यदि किसी बालक के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय व तहसीलों में बने लीगल एड क्लिनिक में जाकर नियुक्त पीएलवी से शिकायत करें या चाइल्ड लाइन और विधिक सेवा प्राधिकरण के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता, उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, आपदाग्रस्त लोगों की मदद आदि से संबंधित प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में भी विस्तार से बताया। विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी सचिव ने किया।कार्यक्रम का संचालन आदित्य कुमार सिंह ने किया व धन्यवाद ज्ञापन ओमनारायण सिंह ने किया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रबंधक ओम नारायण सिंह, प्रधानाचार्य राम निहोरे, शिक्षक-शिक्षिकाएं आदित्य सिंह, कमल, अमन सिंह, अमित कुमार, शबनम, आरती, विमला विद्योत्मा एवं नैनशी सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।