रोजेदारों ने अलविदा की नमाज में मुल्क व कौम की तरक्की के लिए मांगी दुआ

कौशाम्बी,

रोजेदारो ने अलविदा की नमाज में मुल्क व कौम की तरक्की के लिए मांगी दुआ,

यूपी के कौशाम्बी जिले में रमजान के आखिरी जुमे को नम आंखों से रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की। जनपद की सभी मस्जिदों में नमाज से पहले उलेमाओं ने खुतबा दिया। इसमें उलेमाओं, इमाम व धार्मिक गुरुओं ने दुनिया के हालत व अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की और वतन, मिल्लत व कौम के तरक्की की दुआ मांगी।

इस्लाम में जुमे का बहुत महत्व है। इस दिन ही पैगंबर मुहम्मद (स.अ) ने दिनों का सरदार कहा था। वहीं, रमजान में आखिरी जुमे को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसके चलते शुक्रवार को मुख्यालय समेत चायल, कसेंदा, बरेठी, मनौरी, भरवारी, पूरामुफ्ती, मूरतगंज, हर्रायपुर, सिराथू, पइंसा, कड़ा, शमसाबाद, करारी और सरायअकिल आदि सभी मस्जिदों में नमाज पढ़ने आए मुसलमानों ने नए कपड़े पहने थे। कई जगह नमाज पढ़ रहे लोगों की आंखें नम थीं। छोटे बच्चों को पहला रोजा रखने पर उनकी रोजा कुशाई कराई गई। शाम में इफ्तार के दौरान दस्तरखान पर कई तरह के व्यंजन दिखे। मुख्यालय स्थित शिया जामा मस्जिद में इमाम जुमा मौलाना सैयद कौसर अब्बास रिजवी ने बताया कि रमजान के आखिरी जुमे को जुमातुल विदा की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान नमाज पढ़ते समय मुसलमान की आंखें इसलिए नम हो जाती हैं क्योंकि उस समय वह सच्चे मन से अपने रब की प्रार्थना कर रहा होता है। उस समय वह दुनिया भर की बातों से बेखबर अपने खुदा के करीब पहुंच जाता है। नमाजी खुदा से इबादत करता है कि यह उसका अंतिम रमजान न हो। अल्लाह उसके गुनाहों को माफ करे और अगले साल भी उसे रमजान में खुदा की इबादत करने का मौका दे। अल्लाह तआला का इरशाद है कि इसी महीने में कुरआन का नुजूल हुआ है जो लोगों के लिए बाइस ए हिदायत है।

रमजान का महीना इतना मुबारक है कि अल्लाह तआला ने अपनी महबूब किताब को इसी महीने में उतारा है। इसी महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। साथ ही जहन्नुम के दरवाजों को बंद कर दिया जाता है। रमजान मुबारक के बारे में हजरत मुहम्मद (स.)का इरशाद है कि ऐ लोगों तुम पर अजमत और बरकत वाला महीना सयाफगन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिन अल्लाह ने हमें इस जिंदगी में जो कुछ भी दिया है, इसके लिए उसका शुक्रिया अदा किया जाता है और फिर लोग ईद की तैयारियों में जुट जाते हैं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor