22 अक्टूबर को कौशाम्बी पहुंचेगी ‘चरथ भिक्खवे’ सांस्कृतिक यात्रा, बहुजन सुख और बहुजन हित के लिए शांति का संदेश

कौशाम्बी,

22 अक्टूबर को कौशाम्बी पहुंचेगी ‘चरथ भिक्खवे’ सांस्कृतिक यात्रा, बहुजन सुख और बहुजन हित के लिए शांति का संदेश,

बौद्ध धर्म के अमर संदेशों का प्रचार-प्रसार करते हुए विश्व शांति और सद्भाव की ज्योति जलाने हेतु निकली ‘चरथ भिक्खवे’ सांस्कृतिक यात्रा 22 अक्टूबर 2024 को कौशाम्बी पहुंचेगी। यह सांस्कृतिक यात्रा भगवान बुद्ध के उपदेशों को पुनर्जीवित करते हुए समाज में शांति, मैत्री, और करुणा के संदेश को फैलाने का उद्देश्य लेकर चल रही है। सारनाथ से शुरू हुई इस पवित्र यात्रा का नेतृत्व प्रो. सदानंद शाही कर रहे है, जिनके संग साहित्यकार, कवि, लेखक, और संस्कृतिकर्मी समाज के बहुजन हिताय और सुखाय के लिए समर्पित हैं।

यह यात्रा भगवान बुद्ध के उस शाश्वत संदेश पर आधारित है जिसमें उन्होंने अपने भिक्षुओं से कहा था, “चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय,” अर्थात “भिक्षुओ, बहुजन के हित और सुख के लिए भ्रमण करो।” यही संदेश आज के समय में भी समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, जब विभाजन, संघर्ष और अशांति अपने चरम पर हैं।

इस सांस्कृतिक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य समाज में अहिंसा, करुणा, और सद्भाव के संदेश का विस्तार करना है। यात्रा का हर पड़ाव बुद्ध के उन स्थलों पर होगा, जहां उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अपने उपदेश दिए थे। यात्रा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिसमें कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठियाँ, और संवाद सत्र शामिल होंगे।

22 अक्टूबर की शाम यह यात्रा कौशाम्बी जिले की सीमा में प्रवेश करेगी, और 23 अक्टूबर को घोषिताराम विहार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें शांति, करुणा और मैत्री पर विशेष चर्चा होगी। सभी स्थानीय नागरिकों से इस पवित्र यात्रा में शामिल होने की अपील की गई है। यह यात्रा न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो शांति और सद्भाव के सिद्धांतों में आस्था रखता है।

सारनाथ से आरंभ होकर यह यात्रा बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुम्बिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती और कौशाम्बी होते हुए पुनः सारनाथ में समाप्त होगी। हर पड़ाव पर बुद्ध के अमर संदेशों का प्रचार होगा, जिससे मानवता को करुणा और मैत्री का मार्ग दिखाया जाएगा। यह यात्रा न केवल बुद्ध के पदचिन्हों का अनुसरण करती है, बल्कि आत्मचिंतन और वैश्विक सौहार्द की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ‘चरथ भिक्खवे’ यात्रा बुद्ध के शांति, करुणा, और सह-अस्तित्व के संदेश को आज के समाज में पुनः जीवंत कर रही है।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor