कौशाम्बी में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध,किसान समय से करे आलू की बुवाई

कौशाम्बी,

कौशाम्बी में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध,किसान समय से करे आलू की बुवाई,

यूपी के कौशाम्बी जिला कृषि अधिकारी डॉ0 संतराम ने उर्वरक विक्रेताओ/कृषकों को सूचित किया है कि जनपद में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। आलू की अगेती फसल की बुवाई का उपयुक्त समय सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक तथा मुख्य फसल की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक की जा सकती है।

आलू की फसल के लिए प्रति बीघा संस्तुत उर्वरक मात्रा नत्रजनः 35-37 किग्रा0, फास्फोरसः 15-20 किग्रा0 एवं पोटाश : 20-25 किग्रा0 है, जो प्रति बीघा मात्र 35-45 किग्रा0 डी0ए0पी0, 60- 65 किग्रा0 यूरिया एवं 40-42 किग्रा0 म्युरेट ऑफ पोटाश के द्वारा पूर्ति की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि कृषक भाई संतुलित उर्वरक के रूप में एन0पी0के0, सिंग्लसुपर फास्फेट का प्रयोग करें तथा राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर उपलब्ध जैव उर्वरक पी0एस0बी0 कल्चर का प्रयोग बीज शोधन, मृदा शोघन के रूप में करने से मृदा में उपलब्ध अघुलनशील फॉस्फोरस पौधों को घुलनशील रूप में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

ये जैव उर्वरक शासन द्वारा 75 प्रतिशत तक अनुदान पर उपलब्ध है, इसके अतिरिक्त 01 ली0 पानी में 05 एम0एल0 नैनों डी0ए0पी0 डालकर आलू के कन्दों तथा सब्जियों के नर्सरी जैसे-गोभी, बैगन, मिर्च आदि का जड़ शोधन करके रोपाई करने से कम लागत में उच्च गुणवत्तयुक्त अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

किसानों द्वारा अपनी फसलों में अधिकाधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करने की होड़ है, आवश्यकता से अधिक रासायनिक खादों के प्रयोग से किसानों पर आर्थिक बोझ के साथ-साथ मृदा एवं पर्यावरण प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो रही है।

उन्होंने कृषक भाइयों से अनुरोध किया है कि फसलों में संस्तुत मात्रा में ही उर्वरकों का प्रयोग करें तथ अनावनश्यक उर्वरकों का भण्डारण न करें। जनपद के उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिया गया है कि उर्वरक क्रय करने वाले किसानों को उनके फसल एवं क्षेत्रफल के अनुसार ही उर्वरक बिक्री करें एवं आवश्यकता से अधिक रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणाम से भी कृषकों को जागरूक करें।

 

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor