जागरूकता गोष्ठी आयोजित कर किसानी को पराली न जलाने और पराली प्रबन्धन उपायों को अपनाने के लिए किया गया जागरूक

कौशाम्बी,

जागरूकता गोष्ठी आयोजित कर किसानी को पराली न जलाने और पराली प्रबन्धन उपायों को अपनाने के लिए किया गया जागरूक,

यूपी के कौशाम्बी सीडीओ अजीत कुमार श्रीवास्तव द्वारा उदयन सभागार में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली प्रबन्धन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।

सीडीओ ने जागरूकता गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए किसान भाइयों से कहा कि इस गोष्ठी का उद्देश्य आप लोगों को पराली जलाये जाने के दुष्परिणामों एवं पराली प्रबन्धन के उपायों आदि के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि पराली न जलायें तथा पराली प्रबन्धन के उपायों को अपनायें।उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तथा जमीन की उर्वरता घटती है। शासन द्वारा पराली जलाये जाने की घटना को गम्भीरता से लिया जाता है तथा सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने पर भूमि के आधार पर यदि 02 एकड़ की भूमि का क्षेत्रफल होने पर 1500 रूपये का जुर्माना, 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ से कम होने पर 5000 रूपये का जुर्माना एवं 05 एकड़ से अधिक भूमि का क्षेत्रफल होने पर दोषी को 15000 रूपये का जुर्माना लगाये जाने की कार्यवाही की जायेंगी।

उप कृषि निदेशक सतेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि खरीफ की फसलों मुख्य रूप से धान की फसलों की कटाई करने के बाद किसानों द्वारा गेहूॅ की बुवाई की तैयारी की जल्दबाजी में खेतों में पड़े पुवाल अथवा पराली में आग लगा देते हैं जिसके कारण शीतकाल का प्रारम्भ होने से वातावरण में नमीं रहने के कारण पराली के धुॅए में विद्यमान मीथेन और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसों से कोलाइन बन जाता है।

उन्होंने बताया कि ऐसा कोलाइन जब हवा में मिल जाता है तो हमारे श्वास लेने पर हमारे फेफड़े की समस्या जैसे टी0वी, अस्थमा, श्वॉस रोग एवं कैन्सर जैसी बीमारियॉ पैदा होने लगती है। इसके अलावा खेतों में लाभकारी जीव व कीट जैसे गुबरैला, तितली, मकड़ी, केचुवा जलकर मर जाते है।

सभी कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को निर्देशित किया गया कि आप सभी धान की कटाई के समय में पराली जलाये जाने की घटनाओं द्वारा कृषि अपशिष्ट/पुवाल/पैरा जलाने से हो रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गये है। उन्होंने श्फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रेक, स्ट्रा रीपर एवं बेलन अथवा अन्य कोई फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य है।

यह सुनिश्चित किया जाये कि उक्त यन्त्रों के बिना जनपद में कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई न करने पाये, यदि कोई भी सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रेक, स्ट्रा रीपर एवं बेलन अथवा अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रो के बगैर चलते हुयी पायी जायेगी तो उसको तत्काल सीज कर लिया जायेंगा। समस्त ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी होगी कि उनके ग्राम पंचायतों में पराली न जलायी जाय, यदि कोई पराली जलाता है तो उसकी सूचना अपने लेखपाल या तहसीलदार को अथवा कृषि विभाग में लिखित रूप से दें सकतें हैं।

उप कृषि निदेशक ने कृषकों व कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को अवगत कराया कि जनपद के कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों द्वारा हार्वेस्टर मशीनो में लगाये जाने वाले पूरक यन्त्रों को क्रय करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन पोर्टल के माध्यम से दिनांक 01.10.2024 से चालू हो रहा है जनपद के किसान भाई पराली प्रबन्धन के यन्त्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 ए0के0 सिंह द्वारा कृषकों से कहा कि जिनके यहॉ पराली अधिक होती है, वे अपने नजदीकी गौ आश्रय केन्द्र अथवा गौशाला में पराली लें जाय, व इसके बदले एक ट्राली गोबर की खाद ला सकतें हैं। इस प्रकार से आप अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं व जुर्माना आदि से भी स्वयं को बचा सकतें हैं। इस अवसर पर एडीएम अरूण कुमार गोंड सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहें।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor