भवन्स मेहता महाविद्यालय में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150 वीं जयन्ती पर एकता-यात्रा और व्याख्यान का आयोजन

कौशाम्बी:भवन्स मेहता महाविद्यालय में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150 वीं जयन्ती पर एकता-यात्रा और व्याख्यान का आयोजन,

यूपी के कौशाम्बी जिले के भवन्स मेहता महाविद्यालय भरवारी में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150 वीं जयन्ती पर एकता-यात्रा और व्याख्यान का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का आरम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. प्रबोध श्रीवास्तव ने द्वारा दीप प्रज्वलन एवं महाविद्यालय के शिक्षकों द्वारा सरदार पटेल के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। इसके बाद महाविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने एकता-यात्रा निकाली। यात्रा के आगे-आगे शंखनाद एवं देशभक्ति के गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

एकता-यात्रा की महाविद्यालय में वापसी के बाद ‘धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में वक्ताओं ने कहा कि धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता आपस में जुड़े हुए हैं; धर्म और संस्कृति का आपसी प्रभाव राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है, जबकि राष्ट्रीय एकता विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देती है।

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सह-अस्तित्व ही ‘विविधता में एकता’ का प्रतीक है, जो राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करता है। राष्ट्रीय एकता के लिए, नागरिक अपनी साझा पहचान को स्वीकार करते हैं, भले ही वे अलग-अलग पृष्ठभूमि से हों, और राष्ट्र के सद्भाव में बाधा डालने वाले कारकों का विरोध करते हैं।

भारत की पहचान उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता में निहित है। जब लोग अपनी परंपराओं और भिन्नताओं का सम्मान करते हुए एकजुट होते हैं, तो यह सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करता है।

राष्ट्रीय एकता नागरिकों को यह बोध कराती है कि वे विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं से संबंधित होते हुए भी एक हैं। संविधान धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है, जिससे विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्वक एक साथ रह सकते हैं।

धर्म और संस्कृति विभाजन का कारण भी बन सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए इन बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। साझा इतिहास, साझा मूल्य और एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देती है। शिक्षा विविध समाज में रहने के लिए आवश्यक ज्ञान और मूल्यों को प्रदान करके सांस्कृतिक समझ और आपसी सम्मान को बढ़ावा देती है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण है।

इस कार्यक्रम में प्रो.विवेक कुमार त्रिपाठी, प्रो.रुबी चौधरी, प्रो.श्वेता, प्रो.पंकज कुमार, प्रो.अरुण कुमार सिंह, प्रो.उमा जायसवाल, प्रो.सतीश तिवारी, प्रो. योगेश मिश्र, डॉ. नीति मिश्र, डॉ. मुहम्मद आदिल, डॉ. चुम्मन प्रसाद, डॉ राहुल राय, डॉ दीपक कुमार, डॉ महेंद्र उपाध्याय, डॉ मनीष सहित सभी शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भाग लिया।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor