उत्तर प्रदेश,
गन्ना उत्पादकता में वृद्धि हेतु कृषि निवेशों के वितरण को गति प्रदान करने की महती आवश्यकताः संजय आर. भूसरेड्डी,
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नाबार्ड योजना के अन्तर्गत गन्ना कृषकों को कृषि निवेश वितरण हेतु ससमय आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु दिये गये निर्देशों के अनुपालन में मा. गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी द्वारा गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों को आदेशित किया गया कि पूर्वांचल क्षेत्र के छोटे व सीमान्त किसानों के हितार्थ एवं ऐसे गन्ना समिति क्षेत्रों में जहाँ विगत कई वर्षों से जिला सहकारी बैंक के अक्रियाशील होने के कारण किसानों को आर्थिक सहायता मिलने में विलम्ब होता है, वहां की समितियों द्वारा सीमान्त व छोटे पंजीकृत गन्ना कृषकों के हित में रू.5 लाख से लेकर रू.1 करोड़ तक की सीमा के ‘‘कृषि निवेश कोष’’ नामक रिवॉल्विंग फण्ड की स्थापना की जाये। इसी क्रम में गन्ना किसानों का हक दिलाने के लिये प्रदेश में विख्यात प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने त्वरित निर्णय लेते हुए इस संबंध में निर्देश जारी कर दिये हैं।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश की सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के मुख्य उद्देश्यों मंे गन्ने की नवीनतम उन्नतशील प्रजातियों का बीज, खाद तथा उर्वरक, कीटनाशक दवायें, कृषि यंत्र, सिंचाई के साधन तथा कृषि सम्बन्धी अन्य उपकरणों का प्रबन्ध करना एवं इस हेतु सदस्यों को ऋण के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान कराना तथा इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पंूजी का प्रबन्ध करना गन्ना समितियों का कार्य है।
उन्होंने बताया कि गन्ना उत्पादकता में अपेक्षित वृद्धि के दृष्टिगत गन्ना विकास कार्यो में वृद्धि के लिये तथा गन्ना विकास विभाग की योजनाओं का लाभ, विशेषकर सीमान्त व छोटे पंजीकृत गन्ना कृषक सदस्यों को उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश की ऐसी गन्ना समितियों के कार्यक्षेत्र में, जहाँ विगत कई वर्षों से जिला सहकारी बैंक अक्रियाशील हैं तथा नाबार्ड योजना के अन्तर्गत गन्ना कृषकों को कृषि निवेश हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं हो पा रही है, के दृष्टिगत ऐसी गन्ना समितियों के कार्यक्षेत्र में कृषि निवेश वितरण के कार्य को गति प्रदान करने हेतु ‘‘गन्ना निवेश कोष’’ नामक रिवॉल्विंग फण्ड की स्थापना के निर्देश जारी किये गये हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि गन्ना समितियों के माध्यम से पंजीकृत गन्ना कृषक सदस्यांे को वितरित किए जाने वाले कृषि निवेशों से गन्ना कृषकों की उत्पादकता में निश्चित ही वृद्धि होगी, साथ ही पूर्वांचल क्षेत्र के सीमान्त व छोटे किसानों को गन्ना समितियों के माध्यम से ऋण पर कृषि निवेश उपलब्ध करा दिए जाये तो गन्ना उत्पादकता मंे और भी वृद्धि होगी तथा गन्ना समितियांे को भी गन्ना आपूर्ति बढ़ने से सीधा लाभ होगा।
‘‘गन्ना निवेश कोष’’ की समीक्षा प्रत्येक वर्ष सम्बन्धित क्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त एवं उप निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियाँ के स्तर पर की जायेगी। इस कोष के माध्यम से जिला योजना एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत संचालित विभागीय कार्यक्रमों यथा-बीज/भूमि उपचार, पेड़ी प्रबन्धन के अन्तर्गत कीटनाशक रसायन का वितरण, जैव उर्वरक (बायोफर्टिलाइज़र) का वितरण तथा सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्यूट्रीयन्टस) के वितरण के साथ ही समिति के नियमित गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों को नकद रूप में उर्वरक तथा अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
इस कोष के माध्यम से नाबार्ड ऋण की भांति कृषि निवेश पर ब्याज की दर 10.70 प्रतिशत वार्षिक होगी। उधार लेने वाले कृषकों से कृषि निवेश के रूप में ऋण वितरण पर नियमानुसार 03.70 प्रतिशत की छूट दी जायेगी तथा ससमय वसूली (01 अप्रैल से 30 सितम्बर तक लिये गये ऋण की वसूली 31 मार्च तक तथा 01 अक्टूबर से 31 मार्च तक वितरित ऋण की वसूली 30 जून तक) होने की दशा में कृषि निवेश पर 03 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज अनुदान प्रदान करते हुए, प्रभावी ब्याज की दर 04 प्रतिशत वार्षिक ही लागू होगी। डिफाल्टर कृषकों को ब्याज अनुदान मंे कोई भी छूट प्रदान नहीं की जायेगी।
गन्ना आपूर्तिकर्ता पंजीकृत कृषक सदस्यों में से छोटे एवं सीमान्त कृषकों को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। गन्ना निवेश कोष के अन्तर्गत ऋण की वसूली नाबार्ड योजनान्तर्गत ऋण वितरण की भांति कृषक के नाम डिमाण्ड लगाकर गन्ना मूल्य से वसूल की जायेगी। नाबार्ड योजना की भांति डिमाण्ड वर्ष में 02 बार अर्थात 01 अपै्रल और 01 अक्टूबर को लगाई जायेगी।